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बिन दु:ख सब सून

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आप मानें या ना मानें, एक समय ऐसा था जब इस धरती पर हर खास-ओ-आम को भगवान बनने का मौका मिलता था। यह वो समय था जब भगवान दूर स्वर्ग में नहीं रहते थे बल्कि यहीं ज़मीन पर विचरण करते थे। तब दरअसल देवलोक, धरतीलोक या पाताललोक जैसी अलग अलग जगहें थी ही नहीं। इसी धरती पर पाताल भी था और आकाश के बादल भी। सब एकसार था, एक साथ था। प्रभु हर इंसान से मिलते थे, उसके दुख-दर्द सुनते थे, तकलीफें दूर करते थे और खुशियों में शरीक होते थे, और साथ ही सबको भगवान बनने का अवसर भी देते थे। आम लोगों में से ही कईं अपनी किसी खूबी के चलते भगवान बनना चुन लेते थे। जैसे अगर किसी के पास धन-दौलत बहुत ज़्यादा थी, तो वो मनी गॉड बन जाता था। किसी की दुआओं में असर रहा हो तो ब्लैसिंग गॉड, कोई लकी है तो वो गॉड ऑव लक। इसी तरह क्लोथ गॉड, फूड गॉड, वॉटर गॉड, एम्यूज़मेन्ट गॉड जैसे हर तरह के गॉड्स हुआ करते थे। गॉड बनने का तरीका भी अलग था। साफ-सुथरा, नफासत भरा और पूरी तरह एपॉलिटिकल। दक्षिण दिशा में एक खूबसूरत बादलों का पहाड़ था। स्लेटी और नीले रंग का, जिस पर सूरज की शुभ्र और पावन छाया पड़ा करती थी। इस पहाड़ की चोटी पर था पैराडाइज़