ओला कैब ड्राइवर नसीम खान साहब ने कैब ड्राइवरों के प्रति मेरा नज़रिया बदल दिया...।


यह हैं ओला कैब के ड्राइवर नसीम खान साहब। मूलत: उत्तर प्रदेश के बलिया, गाज़ीपुर निवासी नसीम फिलहाल दिल्ली के साकेत स्थित जेजे नगर के पास बने सिंगल रूम डीडीए फ्लैट में अपनी बीवी और एक छोटी बच्ची के साथ रह रहे हैं। इनका भाई भी इनके साथ रहता है जिसे यह इंजीनियरिंग करा रहे हैं। नसीम बलिया में रह रहीं अपनी मां और एक छोटी बहन के लिए हर महीने पैसे भी भेजते हैं। नसीम खान, नसीम खान साहब इसलिए हैं कि इन्होंने यह साबित किया है कि इंसान के पेशे से उसकी सीखने और दुनिया जानने की चाह पर रत्ती भर भी असर नहीं पड़ता और ना ही उसके सपने और ख्वाहिशे छोटी हो जाती है। 

अगर इंसान वाकई में खुद को जागरूक करना चाहता है, आगे बढ़ना चाहता है तो परिस्थितियां उसके आड़े नहीं आती। आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए गांव और अपने खेत छोड़कर दिल्ली आए नसीम खुद एक जागरूक इंसान हैं जो हर मुद्दे पर अपनी बेबाक और पूर्वाग्रह रहित राय रखते हैं। इनकी भाषा भी काफी अच्छी है और यह बहुत आसानी से अंग्रेजी के शब्द भी इस्तमाल करते हैं। इनसे बात करते समय आपको बिल्कुल नहीं लगेगा कि आप किसी टैक्सी ड्राइवर से बात कर रहे हैं। नसीम जानते हैं कि उन्हें लाइफ में क्या चाहिए और उसे कैसे हासिल किया जाना है। 

सवारियों को गूगल मैप के ज़रिए मंज़िल तक पहुंचाने के लिए जो इंटरनेट इनके मोबाइल में ओला कंपनी द्वारा फ्री मुहैया कराया गया है, नसीम उसी इंटरनेट के ज़रिए खाली समय में अखबार और खबरें पढ़ते हैं और खुद को आज के हालातों से पूरी तरह अपडेट रखते हैं। आज दोपहर नोएडा सेक्टर 76 से अपने घर आने के लगभग 50 मिनट के दौरान मैंने इनसे आज कुछ मुद्दों पर बात की तो बहुत से भ्रम टूटे।  

 नोटबन्दी के बारे में बात करते हुए नसीम बताते हैं कि इसका असली असर अगर देखना हैं तो गांव में जाईए और जेजे कॉलोनी में रह रहे दिहाड़ी मजदूरो से बात कीजिए तब आप जान पाएंगे कि दरअसल जितना कुछ आपको लग रहा है उससे कहीं ज्यादा असर इसका हुआ है। लोग बर्बाद हो गए हैं। अपनी खुद की कहानी बताते हुए नसीम ने बताया कि वो अपनी मां के खाते में हर महीने पांच से छ हज़ार रुपए डालते हैं। उनकी मां डायबिटीज़ की मरीज है। लेकिन पिछले डेढ़ महीने से उनके खाते में 20,000 रुपए होते हुए भी उनकी मां खुद अपने ही रुपए नहीं निकाल पा रहीं और डायबिटीज़ की दवाई नहीं खरीद पा रहीं। 

बड़े शहरों में ज़रूर बैंको में पैसा आ रहा है लेकिन उनके गांव में एटीएम में तो डेढ़ महीने से पैसा हैं ही नहीं और बैंक में हफ्ते में एक बार एक लाख रुपए आते हैं जो लाइन में लगे लोगों के बैंक तक पहुंचने से पहले ही ख़त्म हो जाते हैं।  'लेकिन अाप उनके मोबाइल में पेटीएम क्यों नहीं डलवा देतें?' मेरे इस सवाल पर नसीम हंसने लगे और फि़र बोले, मैडम आप लोग जो दिल्ली में बैठे हुए हैं, उन्हें सब कितना आसान लगता हैं ना। यहां तो बहुत तेज़ इंटरनेट आता है लेकिन लेकिन गांव में फोर जी, थ्रीजी छोड़िए टूजी तक नहीं चलता। वहां कंपनियों के टावर ही नहीं लगे हैं। मोबाइल की कनेक्टिविटी भी बहुत अच्छी नहीं आती। वहां दवा की दुकान हैं लेकिन वहां भी कहीं पेटीएम या मोबाइल बैंकिंग की सुविधा नहीं है। 

मजबूरी ऐसी आन पड़ी है कि आने वाले 31 दिसम्बर को नसीम को खुद ही कुछ कैश और मां की दवाई यहां दिल्ली से लेकर ट्रेन से अपने गांव बलिया जाना पड़ रहा है। उनका कहना है कि वहां लोगों के पास घर का राशन खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं। नोटबन्दी के शुरुआती दिनों में जान-पहचान और सामूहिक परेशानी के चलते आसानी से उधार मिल जाया करता था लेकिन अब मुश्किल यह पैदा हो गई है कि खुद दुकानदारों के पास कैश की कमी के चलते वो भी राशन स्टॉक नहीं कर पा रहे हैं, और किसी को उधार देने की स्थिति में नहीं हैं।  " आज हालत यह हो गई है कि मेरा अपना पैसा है मैडम, लेकिन मैं ज़रूरत पर उसे इस्तमाल नहीं कर पा रहा हूं। यह लोकतंत्र हैं, कितने लोग मर रहे हैं, सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से कैसे हाथ छुड़ा सकती है, हर एक मौत का जवाब दिया जाना चाहिए। "

उत्तर प्रदेश में आने वाले चुनावों में किस पार्टी का पलड़ा भारी दिख रहा है और आप किसको वोट देंगे, जैसे सवालों पर नसीम संभल बड़ा नपा तुला सा जवाब देते हैं। उनका कहना हैं कि इस बार किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा बल्कि खिचड़ी सरकार बनेगी। जहां तक जनता की पसंद का सवाल है, लोग बीएसपी को ज्यादा पसंद इसलिए करते हैं क्योंकि मायावती के राज्य में कानून व्यवस्था काफी सुधर जाती है और लोग खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। सपा सरकार में गुंडाशाही काफी चलती है और कानून व्यवस्था का हाल बुरा हो जाता है। हांलाकि इसके लिए नसीम मुलायम सिंह और उनकी पार्टी के अन्य लोगों को ज़िम्मेदार ठहराते हैं..

" अखिलेश तो सही आदमी है, जवान लड़का है, सचमुच बदलाव लाना चाहता है लेकिन पार्टी में उसकी चलती कहां हैं मैडम?" भाजपा क्या उत्तर प्रदेश में इस बार आ सकती है?, इस सवाल पर नसीम फिर एक बार नसीम हंस देते हैं.." मैडम यूपी में आज भी 75 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो एक शराब की बोतल, या सौ रुपए के नोट के लिए वोट दे देते हैं। सपा और बसपा का ग्राउंड बहुत मज़बूत है, भाजपा को तो उस तक पहुंचने में बहुत समय लगेगा। और अब यह नोटबन्दी का असर, जनता नाराज़ तो है, मीडिया कितना भी अच्छी तस्वीर दिखाएं लेकिन यह बातें ज़मीनी हक़ीकत नहीं बदल सकती। बाकी कल क्या होगा यह तो कोई प्रिडिक्ट नहीं कर सकता, आप भी यहीं हैं और हम भी यहीं, जो होगा सामने आएगा। "

किसानो के हालात, फसलों के नुकसान, बिचौलियों की भूमिका और धान के मूल्य जैसे और भी बहुत सी बातों पर नसीम ने अपनी राय दी जो ज़मीनी हकीकत से रुबरू कराती है। यह एक बहुत समझदार और तहज़ीब वाले ड्राइवर हैं। इनकी मारुति सैलेरियो कैब का नंबर हैं - 'DL1RTB2600'. आप कभी ओला कैब की सर्विस लें तो इनकी कैब बुक अवश्य करा कर देखें। आप का नज़रिया भी कैब ड्राइवर्स के प्रति बदल जाएगा।  

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