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Showing posts from March, 2016

"जनरल के नहीं होते तो आज सीआरपीएफ के जवान होते.." आरक्षण के अवसर और ऊंची जाति में पैदा होने की पीड़ा

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यह आगरा के रोहित तिवारी हैं, उम्र 21 साल, जाति से पंडित। आपको हैरानी होगी लेकिन ऊंची जाति में पैदा होने का दंश रोहित के चेहरे और आवाज़ में साफ पढ़ा जा सकता है। यूं तो इनका आगरा में पेठे का हब माने जाने वाले नूरी गेट में अपना पुश्तैनी पेठे का कारखाना हैं, लेकिन आज के मार्केटिंग और दिखावे के दौर का आलम यह है कि पेठा क्वालिटी से नहीं ब्रांड से बिकता है जिसके चलते अपना खुद का बढ़िया पेठा बनाने के बावजूद रोहित के पेठों को अ च्छा दाम नहीं मिलता। यही वजह है कि बड़ा भाई एमबीए करके नौकरी कर रहा है और रोहित सरकारी नौकरी नहीं मिलने की वजह से अपनी फैक्ट्री को चलाने के लिए मजबूर हैं। जब हमने इस मजबूरी का कारण पूछा तो रोहित ने बोला "नाम में जनरल जुड़ा था, जनरल के नहीं होते तो आज सीआरपीएफ के जवान होते।" रोहित के स्वर में अपनी जनरल कैटेगरी के लिए इतनी हिकारत थी कि कोई भी हैरान रह जाता। कारण- उसका सराकारी नौकरी करने का बहुत मन था। सीआरपीएफ के लिए आवेदन किया था, जहां फिज़िकल फिटनेस टेस्ट, मेडिकल टेस्ट सब पास कर लिया। अन्त में एक्ज़ाम हुआ जिसमें जनरल कैटेगरी की कटऑफ 83.8 परसेंट थी जब

अगर कन्हैया को ज़मानत मिल जाने से कुछ लोगों को जीत का अहसास हो रहा है तो ज़रा पढ़ लीजिए क्या कहता है जज प्रतिभा रानी का बेल ऑर्डर ..

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  "देश विरोधी नारे लगाना नहीं है फ्रीडम ऑफ स्पीच" , "यह एक तरह का इन्फेक्शन है जिसे महामारी बनने से पहले निंयत्रित किया जाना ज़रूरी है"  "अगर इन्फेक्शन फैलकर गैंगरीन बन जाए तो उस भाग को काटना ही एकमात्र इलाज बचता है " कन्हैया के समर्थन में उतरे जेएनयू छात्र-छात्राएं, अध्यापक, राजनीतिक दल और उन्हें मासूम बताने वाले कुछ चैनल्स भले ही यह सोच कर खुश हो लें कि कन्हैया को ज़मानत मिल गई है और यह उनकी जीत है, लेकिन सच्चाई यह है कि हाईकोर्ट जज प्रतिभा रानी द्वारा कन्हैया को दिए गए बेल ऑर्डर में बहुत सी बातें ऐसी हैं जो स्पष्ट करती हैं कि कन्हैया को क्लीन चिट नहीं दी गई है।  ऑर्डर में साफ तौर पर लिखा गया है कि देशविरोधी नारे लगाने को फ्रीडम ऑफ स्पीच के तौर पर नहीं देखा जा सकता। जज ने इस तरह के माहौल के लिए जेएनयू टीचर्स को भी जिम्मेदार माना है और उन्हें यूनिवर्सिटी में अच्छा माहौल बनाने की ताकीद की है। जज ने उन सभी अन्य छात्र-छात्राओं को भी अपना आचरण सुधारने की सलाह दी है जिनके नारे लगाते और अफज़ल गुरू के पोस्टर पकड़े फोटोग्राफ्स रिकॉर्ड पर हैं। यह