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Showing posts from September, 2015

इस कहानी को पढ़ते समय दिमाग का इस्तमाल ना करें.. यह किस्सा तर्कों और अर्जित ज्ञान की सीमाओं से परे हैं :-)

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सम्भापुर में एक 10 साल का लड़का रहता था- चंद्रभान। उसे दुनिया से कोई मतलब नहीं था। उसका कोई भी दोस्त नहीं था, उसे प्यार था तो केवल किताबों से। उसकी प्रिय किताबें थी गणित, रसायन शास्त्र (केमिस्ट्री), भौतिक विज्ञान (फिजिक्स) और जीव विज्ञान (बायोलॉजी) की किताबें। दिन रात चंद्रभान केवल किताबों में डूबा रहता था। खाता था तो हाथ में किताबें, सोता था तो भी किताबों के साथ.. अपनी बातें भी वो किताबों के साथ ही करता था। एक दिन दूसरे ग्रह दूरामी से आए एक एलियन मॉन्स्टर ने उसका अपहरण कर लिया जो कि उसकी स्टडी टेबल के नीचे छिपा हुआ था। दूरामी का एलियन 'भूलखा' धरती ग्रह पर रहने वाले लोगों के बारे में पता लगाने के लिए आया था। भूलखा काफी दिनों से चंद्रभान की गतिविधियां देख रहा था और एक दिन वो उसका अपरहण करके अपने साथ दूरामी ले गया। जब चंद्रभान दो तीन घंटों तक किताबों के पास नहीं आया तो किताबें परेशान हो गईं। गणित की किताब से निकला अर्थमैटिको, फिजिक्स का फिजिक्सा, बायोलॉजी से बायोलाल जी और केमिस्ट्री से केमिकेलिया... यह चारों मिलकर मंत्रणा करने लगे कि आखिर चंद्रभान गया तो गया कहां। बा

रंग लाई फूयो, ऑल्टिया और मर्सिडीज़िया की दोस्ती

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गाज़ियाबाद की एक आधुनिक सोसाइटी की बेसमेन्ट पार्किंग में एक ऑल्टो कार और एक हीरो हौन्डा बाइक रहा करते थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी। कार का नाम था ऑल्टिया और बाइक थी फूयो। दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि एक दिन भी अगर दोनों एक दूसरे से बात ना करें तो परेशान हो जाते थे। कभी ऑल्टिया गर्मी से परेशान फूयो को अपने ठंडे एसी की हवा दिया करती थी तो कभी फूयो, ऑल्टिया के थके हुए टायरों की अपने किक स्टार्टर से मालिश कर दिया करता था। सारे त्यौहार, छुट्टियां दोनों साथ मनाते थे। दोनों एक दूसरे के साथ खूब मस्ती किया करते थे। फिर एक दिन अचानक ऑल्टिया गायब हो गई। फूयो ने उसका बहुत इंतज़ार किया। अन्य साथी कारों, स्कूटरों और बाइकों से भी पूछा पर किसी को मालूम नहीं था। हफ्ता गुज़र गया। फूयो बहुत उदास रहने लगा। उसकी दोस्त जाने कहां चली गई थी। .. और फिर एक दिन ऑल्टिया की जगह एक चमचमाती नई ग्रे रंग की बड़ी कार खड़ी होने लगी।  फूयो को हैरानी हुई। उसने उस नई कार से बात करने की कोशिश की, उसका हाल-चाल पूछा, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। वो अपनी अकड़ में रहने वाली गुरूर से भरी हुई कार थी। जिसे फू

यह तब की बात है जब फलों और सब्ज़ियों के बीच दोस्ती नहीं थी...

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एक समय था जब फल और सब्जियां अलग अलग रहते थे। दोनों में दोस्ती कायम करने में चेरी और शिमला मिर्च का बहुत बड़ा योगदान है। कैसे... जानने के लिए सुनते हैं यह कहानी..  बहुत समय पहले धरती पर टमाटर के रस की नदी बहा करती थी। नदी के इस तरफ था फ्रूट किंगडम यानि फलों का साम्राज्य और दूसरी तरफ था वेजीटेबल किंगडम यानि सब्जि़यों का साम्राज्य। फ्रूट किंगडम के राजा थे महामहिम आम और महारानी थी चेरी.. दोनों की जोड़ी एक और शून्य की जोड़ी थी, अलग किस्म की, अजीब जोड़ी लेकिन बेजोड़। फ्रूट किंगडम का शानदार क्यूकम्बर पैलेस, खीरे से बना था। उसमें केले के खम्बे थे और लाल बेर जड़ित खीरे की दीवारें। महाराजा आम जब तरबूज़ की शानदार अंगूर जड़ी, लाल बग्घी में बैठकर प्रजा के बीच आते थे तो सेब, खुबानी, चीकू, केले और बाकी सारी फलों की प्रजा उनका शानदार स्वागत करती थीं। नदी के दूसरी तरफ वेजीटेबल किंगडम के महाराजाधिराज थे बैंगन राजा और उनकी महारानी थीं, शिमला मिर्च। इनका महल भिंडी से निर्मित था जिसमें पत्ता गोभी के बड़े-बड़े पर्दे और फूलगोभी के झूमर लटका करते थे। महाराजा की शाही सवारी कद्दू में मटर की नक्काशी