रंग लाई फूयो, ऑल्टिया और मर्सिडीज़िया की दोस्ती



गाज़ियाबाद की एक आधुनिक सोसाइटी की बेसमेन्ट पार्किंग में एक ऑल्टो कार और एक हीरो हौन्डा बाइक रहा करते थे। दोनों में गहरी दोस्ती थी। कार का नाम था ऑल्टिया और बाइक थी फूयो। दोनों की दोस्ती इतनी गहरी थी कि एक दिन भी अगर दोनों एक दूसरे से बात ना करें तो परेशान हो जाते थे। कभी ऑल्टिया गर्मी से परेशान फूयो को अपने ठंडे एसी की हवा दिया करती थी तो कभी फूयो, ऑल्टिया के थके हुए टायरों की अपने किक स्टार्टर से मालिश कर दिया करता था। सारे त्यौहार, छुट्टियां दोनों साथ मनाते थे। दोनों एक दूसरे के साथ खूब मस्ती किया करते थे।

फिर एक दिन अचानक ऑल्टिया गायब हो गई। फूयो ने उसका बहुत इंतज़ार किया। अन्य साथी कारों, स्कूटरों और बाइकों से भी पूछा पर किसी को मालूम नहीं था। हफ्ता गुज़र गया। फूयो बहुत उदास रहने लगा। उसकी दोस्त जाने कहां चली गई थी। .. और फिर एक दिन ऑल्टिया की जगह एक चमचमाती नई ग्रे रंग की बड़ी कार खड़ी होने लगी। 

फूयो को हैरानी हुई। उसने उस नई कार से बात करने की कोशिश की, उसका हाल-चाल पूछा, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। वो अपनी अकड़ में रहने वाली गुरूर से भरी हुई कार थी। जिसे फूयो से मामूली बाइक से दोस्ती करना पसंद नहीं था। जब फूयो ने  उससे एक बार और पूछा तो उस ग्रे कार ने अपनी हैडलाइट झटकते हुए गुस्से से कहा कि देखो- आय एम मर्सिडीज़ीया.., मैं अपने फ्रेंड्स बहुत सोच-समझ कर बनाती हूं, हर किसी से दोस्ती नहीं कर सकती। इसलिए आगे से मुझसे बात करने की कोशिश मत करना।

फूयो बेचारा दुखी हो गया। अब वो अकेला था। बात करने के लिए, खेलने के लिए कोई नहीं था। मर्सिडीज़िया तो उसकी तरफ देखती तक नहीं थी, खेलना तो दूर की बात रही। एक दिन वो ऐसे ही दुखी होकर ऑल्टिया को याद कर रहा था.. " ओ ऑल्टिया, मेरी दोस्त, तुम कहां चली गईं, तुम होती तो हम कितनी मस्ती करते।.. " वो बड़बड़ा ही रहा था कि मर्सिडीज़िया की हैरानी भरी आवाज़ आई- " तुम ऑल्टिया को कैसे जानते हो? " 

फूयो हैरान, उसने मर्सिडीज़िया को बोला कि तुमसे पहले यहां ऑल्टिया ही रहा करती थी। उससे मेरी गहरी दोस्ती थी, और फिर एक दिन वो गायब हो गई और तुम उसकी जगह आ गईं। मर्सिडीज़िया की आंखों में आंसू आ गए। वो बोली कि जानते हो मैं ऑल्टिया की बड़ी बहन हूं। वो एक कार कार्निवल में मुझसे बिछड़ गई थी। तब से उसे ढूंढ रही हूं। उसकी तलाश में दिल्ली, बम्बई, हैदराबाद.. और जाने कहां कहां गई पर वो मुझे नहीं मिली। आज पता चला कि वो यहां थी। क्या तुम उसे ढूंढने में मेरी मदद करोगे?

फूयो भी हैरान था। उसने प्रॉमिस किया कि वो ज़रूर मदद करेगा। उस दिन से मर्सिडीज़िया और फूयो दोस्त बन गए, दोनों साथ रहने लगे, घूमने लगे और एक साथ ऑल्टिया को ढूंढने की कोशिश करने लगे। 

एक दिन दोनों साथ पेट्रोल भरवाने पहुंचे थे कि अचानक फूयो को दूसरी तरफ बीमार, परेशान ऑल्टिया दिख गई। उसमें ड्राइविंग सीट पर एक गुंडा सवार था। फूयो चुपके से उसके पास पहुंचा और ऑल्टिया से पूछा कि वो वहां कैसे आई। 

ऑल्टिया, फूयो को देखकर खुश हो गई। उसने बताया कि यह आदमी उसे चुरा कर लाया है और अब वो उसे स्क्रैप यार्ड भेजने की तैयारी कर रहा है, जहां उसे मार दिया जाएगा। फूयो तुरंत मर्सिडीज़िया के पास पहुंचा और उसे सारी बात बताई। दोनों ने मिलकर ऑल्टिया को छुड़ाने की तरकीब सोच ली थी। 

जब ऑल्टिया को लेकर वो चोर पेट्रोल पंप से निकला, फूयो कार के सामने आकर लेट गया। उस चोर ने हड़बड़ी में ब्रेक लगाए और वो फूयो को रास्ते से हटाने के लिए कार से बाहर निकला। जैसे ही वो बाहर निकला, तैयार खड़ी मर्सिडीज़िया ने उसे टक्कर मार दी। चोर बेहोश होकर ज़मीन पर गिर गया। 

फौरन फूयो उठा। वो, ऑल्टिया और मर्सिडीज़िया वहां से दौड़ पड़े। तीनों बहुत तेज़ भागे और एक नई जगह जाकर रुके। ऑल्टिया भी आज़ाद होकर और  बिछड़ी हुई बहन से मिलकर बहुत खुश थी। उस दिन से तीनों वहीं साथ-साथ रहेने लगे। वो हमेशा दोस्त रहे। उनकी दोस्ती के किस्से आज भी कार वर्ल्ड में किवदंती की तरह सुनाए और गुनगुनाए जाते हैं।




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