मुगल गार्डन जा रहे हैं तो ध्यान रखिए



आजकल दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में स्थित प्रसिद्ध मुगल गार्डन आम जनता के लिए खुला हुआ है और राजधानी दिल्ली ही नहीं आस-पास की जगहों से भी लोग इसे देखने के लिए पहुंच रहे हैं। मुगल गार्डन देखने जाने का अपना मज़ा है लेकिन खास बात यह है कि यहां जाते समय किन बातों का ध्यान रखना है इसके बारे में किसी भी तरह की गाइडलाइन्स नहीं जारी की गई हैं जिसके कारण यहां जाने वाले लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, अगर आप अपने मुगल गार्डन के सफर को रोचक बनाना चाहते हैं और उन परेशानियों से रू-ब-रू नहीं होना चाहते जिनसे कि हम गुज़र कर आए हैं तो इन बातों का ध्यान रखें...


  • सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि इंडिया गेट के ठीक सामने जो राष्ट्रपति भवन का गेट दिखता है, वहां से मुगल गार्डन के लिए प्रवेश नहीं हैं, इसलिए इंडिया गेट के लिए ऑटो ना लें। मुगल गार्डन के लिए प्रवेश राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर 37 से हैं जो कि इंडिया गेट से काफी ज्यादा दूरी पर है और पार्लियामेंट के पीछे से घूम कर यहां जाना पड़ता है। 
  • अगर आप अपनी गाड़ी से जा रहे हैं तो केन्द्रीय सचिवालय के मेट्रो स्टेशन की पार्किंग में गाड़ी खड़ी करें और आगे ऑटो से जाएं. यह पूरा वीआईपी एरिया है और आपको कहीं भी और गाड़ी खड़ी करने में खासी दिक्कत आ सकती है। बल्कि बेहतर तो यहीं होगा कि आप मेट्रो से केन्द्रीय सचिवालय पर उतरें और फिर ऑटो कर लें. यहां से ऑटो वाला आपको राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर 37 पर छोड़ने के लगभग 50 रुपए लेता है। यहां तक बस भी जाती हैं, आप चाहे तो 10 रुपए प्रति सवारी की बस भी ले सकते हैं। 
  • मुगल गार्डन सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक खुलता है। बेहतर हैं आप सुबह जाएं या दोपहर में ज्यादा से ज्यादा 2 बजे से पहले ताकि आप दो-ढाई घंटे घूमकर सही समय पर बाहर वापस आ सकें।
  • मुगल गार्डन में केवल आप अपना वॉलेट यानि पर्स (केवल पर्स हैंडबैग नहीं) और मोबाइल लेकर जा सकते हैं। इसके अलावा हैंडबैग, पानी की बोतल, कैमरा या कोई भी अन्य चीज़ अंदर ले जाना मना है। अगर आप हैंडबैग में यह सब लेकर पहुंचे हैं तो आपको यह सारा समान बाहर ही क्लॉक रूम में जमा करना पड़ेगा जो कि एक अच्छा खासा लम्बा और थकाने वाला प्रोसेस है। और लौटने के बाद क्लॉक रूम से सामान कलेक्ट करना भी कम मुश्किल काम नहीं। क्योंकि यहां आने वाली लोगों की भीड़ की वजह से काफी सिक्योरिटी होने के बावजूद अव्यवस्था का आलम है और सामान वापस लेने के लिए कोई लाइन वगैरह की व्यवस्था नहीं है। सामान लौटाने वाले लोगों की संख्या भी काफी कम है जिसकी वजह से सामान वापिस प्राप्त करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है। समय की भी बरबादी होती है और थकान होती है सो अलग। सबसे अच्छा तो यही है कि आप केवल रुपयों वाला पर्स और मोबाइल ही लेकर यहां जाएं। 

  • यहां अंदर पानी और वॉशरूम वगैरह की व्यवस्था है तो परेशानी वाली कोई बात नहीं है। और जहां तक खाने का सवाल है तो चूंकि यहां खाने का कुछ भी सामान ले जाना मना है इसलिए बेहतर होगा कि आप पहले से कुछ खा कर जाएं। 
  • यह बात याद रखें कि अंदर मुगल गार्डन में आपको काफी ज्यादा चलना पड़ता है और इस समय धूप भी काफी ज्यादा है, तो यहां जाने से पहले स्कार्फ, कैप या सनग्लासेस ले जाना ना भूलें। 

  • अंदर आप आराम से घूमे, अपने मोबाइल से फोटो लें और यहां पर मौजूद कुछ अस्थायी शॉप्स से शॉपिंग भी करें। यह शॉप्स काफी कम दामों में खाद, जैविक मसालें, खादी के कपड़े आदि उपलब्ध कराती हैं।  चिकित्सकीय सुविधा, बैठने के लिए जगह आदि सब जगहें भी मुगल गार्डन के अंदर मौजूद है। 
  • जब यहां से घूम कर वापस निकल आएं तो अब आपको फिर से वापस पहुंचने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यहां से ऑटो वाले वापस केन्द्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन तक जाने के लिए 20 रुपए से 30 रुपए प्रति सवारी तक लेते हैं। अगर आप इस खर्चे से बचना चाहे तो यहां से गुज़रने वाली किसी भी बस में सवार हो जाएं और वो जिस भी नज़दीकी मेट्रो स्टेशन से गुज़रे वहां उतर जाएं। इससे आपकी जेब भी कटने से बचेगी और आप आराम से वापस पहुंच जाएंगे।

  • तो बस इन छोटी-छोटी बातों का खयाल रखें और आराम से शानदार मुगल गार्डन की सैर करके आएं। यहां दुनिया भर के रंग-बिरंगे फूल, पौधे, फाउन्टेन्स और फूलों की सजावट देखकर आपका दिल खुश हो जाएगा। और फिर राष्ट्रपति भवन को इतने करीब से देखने का अनुभव अपने आपमें बेहद खुश करने वाला है। 

Comments

Popular posts from this blog

सृष्टि से पहले सत् नहीं था, असत् भी नहीं, छिपा था क्या, कहां किसने ढका था....: ऋगवेद के सूक्तों का हिन्दी अनुवाद है यह अमर गीत

क्या आपने बन्ना-बन्नी, लांगुरिया और खेल के गीतों का मज़ा लिया है. लेडीज़ संगीत का मतलब केवल डीजे पर डांस करना नहीं है..

भुवाल रियासत के सन्यासी राजा की कहानी, जो मौत के 12 साल बाद फिर लौट आयाः भारत के इतिहास में जड़ा अद्भुत, अनोखा और रहस्यमयी सच