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Showing posts from February, 2014

लक्ष्मी को मिल गई मोहब्बत..!

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 आलोक को उसकी मासूमियत और हिम्मत के आगे उसका तेजाब से झुलसा चेहरा कहीं नज़र नहीं आता। स्टॉप एसिड अटैक कैम्पेन के ज़रिए साथ आए आलोक और लक्ष्मी कहते हैं.. ज़िंदगी भर साथ रहेंगे... लक्ष्मी की ज़िंदगी में मोहब्बत बन कर आए हैं आलोक दीक्षित। स्पॉट एसिड कैम्पेन के ज़रिए एसिड अटैक का शिकार बनी लड़कियों की सहायता करने वाले और लोगों में इसके प्रति जागरूकता जगाने वाले आलोक दीक्षित की लक्ष्मी से मुलाकात 2012 में हुई थी। और कुछ ही महीनों में दोनों के बीच प्यार ने जड़े जमा लीं। हम और आप जैसे लोगों को कुछ अजीब लग सकता है... आज के ज़माने में जब खूबसूरती को किसी भी रिश्ते के लिए बहुत बड़ी चीज़ माना जाता है, ऐसे में 25 साल के आलोक ने लक्ष्मी  के तेजाब से जले चेहरे को नकारते हुए उसकी ‘ खूबसीरत ’ से प्यार किया। वहीं लड़कों की फितरत और ज़माने की अच्छाईयों से विश्वास खो चुकी 24 साल की लक्ष्मी को भी आलोक के निडर व्यक्तित्व और स्पष्टता ने फिर से ज़िंदगी से प्यार करना सिखा दिया।     इन दोनों का प्यार बहुत खूबसूरत है। हमने जब इस रिश्ते के बारे में जानने के लिए इनसे मुलाकात की तो यह दोनों

कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है...

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तेज़ाब सिर्फ चेहरा ही नहीं जलाता पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर देता है। एक-एक सुई, ऑपरेशन, टांके, दर्द ….., पूरा शरीर, घर, सब कुछ बर्बाद कर देता है। सपने जो कभी जगाए थे, वो सब मर जाते हैं...- तेजाब हमले की शिकार लक्ष्मी का  भावुक पत्र लक्ष्मी आज अपने सपनों को जी रही है वो आज खुश है उसने अपना प्यार पा लिया है अपना जीवन पा लिया है। आज वो उस जैसी कई और लड़कियों की हिम्मत और विश्वास बन चुकी है जिनके चेहरे को एकतरफा प्यार, पारिवारिक दुश्मनी या फिर निजी खुन्नस के कारण तेजाब डालकर जला डाला गया।   लक्ष्मी भी जब सिर्फ 14 साल की थी तब उसके पड़ौस में रहने वाले 32 साल के एक आदमी ने उसके चेहरे पर सिर्फ इसलिए तेजाब डाल दिया क्योंकि लक्ष्मी ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया था। तब से अब तक एक फाइटर की तरह लड़ती रही है लक्ष्मी। फिलहाल स्टॉप एसिड अटैक के साथ जुड़ी लक्ष्मी ने अपना दर्द एक पत्र में बयां किया है। लक्ष्मी की खुली चिट्ठी  "दोस्तों मैं चाहती हूं कि आप भी इस लेटर को पढ़ें। इस लेटर में बहुत सी अनकही, अनसुनी बातें होंगी। आप हमारे बारे में बहुत कुछ जानते हैं लेकिन बह

मोदी के प्रति दीवानगी का आलम- लो, अब शादी के कार्ड पर भी आ गए मोदी...

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मीनाक्षी की शादी का कार्ड और साथ में मोदी के दीवाने फतेहलाल जी की तस्वीर जी हां, पूरे देश में तो नमो नमो का मंत्र गूंज ही रहा है, लेकिन राजस्थान के राजसमन्द जिले के निवासी फतेहलाल का मोदी प्रेम तो सारी हदें ही पार कर गया। फतेहलाल जी को नरेन्द्र मोदी इतने ज़्यादा पसंद हैं कि वो भगवान के बाद मोदी को ही मानते हैं। अपना यह प्रेम उन्होंने अपनी इकलौती बेटी की शादी के कार्ड के ज़रिए जाहिर किया है। उनकी बेटी मीनाक्षी की शादी इसी महीने 17 फरवरी को हुई है। हमने जब उनसे कार्ड पर मोदी की तस्वीर छपवाने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा- मैं मोदी जी का बहुत बड़ा समर्थक हूं। भगवान के बाद उन्हें ही मानता हूं। मेरी बड़ी इच्छा थी कि मेरी बेटी को मोदी जी का आर्शीवाद मिले। इसलिए मैंने कार्ड पर उनकी तस्वीर छपवाई है कि इस तरह से मेरी बेटी तक उनका आर्शीवाद पहुंच जाएगा। 

Killer Pentavalent ...? 54 infants died after vaccination in just two years, Finally govt admits three death casually associated with Pentavalent Vaccination

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Pentavalent Vaccine, that was introduced in India’s Universal Immunization Program (UIP) in December 2011, has claimed 54 lives so far. Union Health Ministry that had denied any role of Pentavalent vaccine in infant deaths for two years, finally- in reply of an RTI, has admitted   Pentavalent's association in three deaths.  While one of the three deaths has clearly been classified as ‘vaccine reaction’. Now when vaccines' role in babies’ deaths has proven, it is for all to see what government decides next... discontinue vaccine use in UIP or scale it up at national level..? Pentavalent story so far.. 2 years, 9 states, 54 deaths & 135 hospitalizations Five-in-one Pentavalent vaccine, that claims to save children from five killer diseases i.e., Diphtheria, Pertussis, Tetanus, Hepatitis B & Hib Meningitis, has been introduced in 9 states under UIP (Universal Immunization Program) of India. Government first introduced Pentavalent in Kerala & Tamilnadu

जानलेवा पेंटावैलेंट वैक्सीन???? दो सालों में टीकाकरण के बाद गई 54 बच्चों की जान, आखिरकार पहली बार सरकार ने भी माना पेंटावैलेंट टीकाकरण से जुड़े हैं तीन बच्चों की मौत के मामले

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दिसंबर 2011 में भारत के इम्यूनाइजेशन कार्यक्रम में शामिल की गई फाइव-इन-वन पेंटावैलेंट वैक्सीन के टीकाकरण के बाद अब तक नौ राज्यों में 54 नवजात शिशुओं की जाने जा चुकी हैं। इस जानलेवा टीके के प्रभावों, कारगरता, सुरक्षा और भारत में इसकी ज़रूरत पर सवाल उठाने वाले जन स्वास्थ्य विशेषज्ञो को ‘एंटी वैक्सीन लॉबी’ कहकर खारिज करने वाला स्वास्थ्य मंत्रालय अब खुद सवालों के घेरे में है। पहली बार इन विशेषज्ञों द्वारा पेंटावेलेंट को असुरक्षित कहे जाने की पुष्टि सरकारी जांच में भी हो गई है। जांच में तीन बच्चों की मौत को पेंटावैलेंट टीकाकरण से संबंधित पाया गया है और इनमें से एक मौत का वर्गीकरण तो सीधे ‘वैक्सीन रिएक्शन’ के तौर पर ही किया गया है। अब सवाल यह है कि क्या अब सरकार चेत जाएगी और इस वैक्सीन को देशव्यापी तौर पर शुरू करने से पहले इसकी ठीक से जांच करेगी या फिर 54 नवजातों की मौत, पेंटावैलेंट के दुष्प्रभावों और जन स्वास्थ्य विशेषज्ञो की चिन्ताओं को दरकिनार करके सिर्फ डब्ल्यूएचओ के दवाब में इस वैक्सीन का प्रयोग जारी रखेगी.... जानलेवा पैंटावैलेंट वैक्सीन – दो साल, नौ राज्य, 54 नवजात शिशुओं की