युवाओं में बढ़ रही है भगवान के प्रति आस्था

        
 
  ये रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले भगवान का नाम लेते हैं, हफ्ते में एक बार मंदिर जाते हैं,  गायत्री मंत्र और हनुमान चालीसा याद रखते हैं, नवरात्रों में व्रत करते हैं, महाशिवरात्रि पर शिवजी पर दूध चढ़ाते हैं, जन्माष्टमी और दीवाली पर पूजा करते हैं और तीर्थ स्थानों पर जाने की भी इच्छा रखते हैं, गणपति विसर्जन भी करते हैं भी दुर्गा की स्थापना भी ......     आपको क्या लगता है किस की बात कर रहे हैं हम। घर के बुज़र्गों की, माताओं और पिताओं की। जी नहीं यह सारे गुण पाए जाते हैं आज के युवाओं में।
पूर्व में किए गए कुछ सर्वेक्षणों में यह बात सामने आ चुकी है कि आज पूरे देश के युवाओं में अपने धर्म और संस्कृति के प्रति ना सिर्फ प्यार और इज़्जत है बल्कि वे इसके प्रति समर्पित भी हैं। लेकिन यहां हम सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली के युवाओं की बात करेंगे, मेट्रो शहर के युवा, जिन्हें बेहद आधुनिक माना जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी बेहद आधुनिक और नास्तिक समझे जाने वाली यह नई पीढ़ी भगवान में विश्वास भी करती है और नियमित रूप से प्रार्थना भी करती है।
    मयूर विहार के निवासी श्री विकास गुप्ता, जो कि मल्टीनेशनल कंपनी में क्वालिटी एनालिस्ट हैं, के दोनों बच्चे युवा हैं, बेटी रामजस कॉलेज में इकॉनॉमिक्स की पढ़ाई कर रही है और बेटा आई आई टी की कोचिंग ले रहा है। मिसेज गुप्ता खुद एक प्रतिष्ठित कान्वेन्ट स्कूल में अंग्रेजी की अध्यापिका हैं। घर में पूरी तरह आधुनिकता का माहौल है लेकिन ना सिर्फ दोनों पति-पत्नी भगवान में आस्था रखते हैं, बल्कि इनके दोनों बच्चे भी नियमित रूप से पूजा करते हैं। इनके घर में एक छोटा सा मंदिर भी बनाया गया है जहां सुबह शाम दीपक जलाया जाता है। मिसेज गुप्ता बताती हैं कि इनके दोनों बच्चे और साथ ही उनके लगभग सारे दोस्तों में से एक भी ऐसा नहीं जो भगवान पर भरोसा ना करता हो। वो खुशी खुशी बताती हैं कि उनकी बेटी तो नवरात्रों के दौरान पहला और आखिरी व्रत भी रखती है जबकि बेटा और पति महाशिवरात्रि पर व्रत रखते हैं।
    वसंत कुंज के निवासी सेवानिवृत सेना अधिकारी अनुज गौड़ के घर उनकी पत्नी पुष्पा और एक बेटा व बहू हैं। बेटा बैंक ऑफ अमेरिका में है और बहू फैशन डिज़ाइनर। आधुनिक गैजेट्स और साज सज्जा के सामानों से भरे हुए इनके फ्लैट में घुसते ही सबसे पहले ड्रॉइंग रूम में एक फ्रेम की हुई तस्वीर पर नज़र जाती है जिस पर श्री यंत्र बना हुआ है। यहीं नहीं घर के अन्य कमरों में भी किसी मढ़े हुए फ्रेम में महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ दिखता है तो किसी में गायत्री मंत्र। खुद आरडब्ल्यूए की एक एक्टिव सदस्य श्रीमती गौड़ गर्व से बताती हैं, कि उनके बेटे और बहू दोनों को भगवान पर बहुत विश्वास है। उन्हीं दोनों ने यह मंत्र और श्रीयंत्र की तस्वीरे लगाई हैं। और अब वो दोनों अपने चार साल के बेटे, एमिटी स्कूल में नर्सरी के छात्र उत्सव को भी पूजा करने और गायत्री मंत्र बोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। साल में एक बार पूरा परिवार दो दिन के लिए हरिद्वार के आश्रम में रहने जाता है जिस दौरान ये पूजा पाठ और दान-दक्षिणा करते हैं।
  द्वारका के सेक्टर 18 के पॉश इलाके में रहने वाले रुचि और अनुराग राठौर अपनी ऑनलाइन बिक्री कंपनी चलाते हैं। इनके दोनों बच्चे 10 साल का अनिरुद्ध और  8 साल की गौरी, ओपीजी इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ते हैं। रुचि और अनुराग के घर का नियम है कि यहां रोज सुबह नहाने और पूजा करने से पहले कोई कुछ नहीं खाता। घर में नियमित रूप से हर सुबह दुर्गा स्तुति और शाम को कनकधारा स्त्रोतम का पाठ किया जाता है।पूरा परिवार हर महीने में एक बार छतरपुर मंदिर जाता है।
    सीमा एक न्यूज चैनल में कार्यरत है और बताती हैं कि उसके साथ काम करने वाले लगभग सभी लड़के और लड़कियां भगवान में विश्वास करते हैं। नवरात्रों में व्रत रखते हैं। दीवाली की पूजा करते हैं। और काफी लोग ऐसे हैं जो कि लोकप्रिय धार्मिक स्थानों जैसे शिरडी, तिरूपति बालाजी और वैष्णो देवी या तो जा चुके हैं, या जाने की इच्छा रखते हैं।
  यह सिर्फ कुछ साधारण से उदाहरण है जिनसे काफी हद तक इस बात का संकेत मिलता है कि आज की पीढ़ी अपने धर्म के प्रति कितनी सजग है और भगवान में उनकी कितनी आस्था है।अगर हमारी बात पर शक है तो ज़रा गणपति विसर्जन और दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन के लिए जाने वाली टोलियों को याद कीजिए। दशहरे पर रावण दहन के दौरान जुटने वाली भीड़ को याद कीजिए। क्या इनमें युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा नहीं होती। हां यह कहा जा सकता है कि हंगामे और मौज मस्ती के कारण युवा इन त्यौहारों से ज्यादा जुड़ते हैं लेकिन साथ ही इनमें युवाओं की आस्था भी जुड़ी है इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
 हांलाकि यह भी सच है कि युवाओं में आपको धर्मभीरुता देखने को नहीं मिलेगी यानि आज के युवा भगवान में इसलिए भरोसा नहीं करते कि वो उन्हें इम्तहान में पास कराएगा या अच्छी नौकरी देगा, बल्कि इसलिए विश्वास करते हैं क्योंकि वो अपने ऊपर एक अदृश्य शक्ति की मौजूदगी को मानते हैं और यह आस्था उन्हें मन की शांति देने के साथ साथ अपने परिवार और संस्कृति से जोड़ती है।
क्या है युवाओं के धर्म की तरफ बढ़ते रुझान की वजह
  •  युवाओं में बढ़ते अपने धर्म और त्यौहारों के प्रति लगाव की वजह जब हमने जानने की कोशिश की तो सबसे सटीक जवाब कॉन्वेन्ट स्कूल की अध्यापिका मिसेज गुप्ता ने दिया। इनके अनुसार आजकल लगभग हर स्कूल में सभी बच्चों को नर्सरी में ही गायत्री मंत्र सिखाया और बुलवाया जाता है। प्रत्येक त्यौहार को स्कूलों में भी मनाया जाता है। जिसके कारण शुरू से ही बच्चों में इसके बीज पड़ जाते हैं।
  • सीमा की मानें तो आजकल टीवी पर आने वाले बहुत से लोकप्रिय धारावाहिकों ने भी युवाओं को इस दिशा में प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाई है। बहुत से लोकप्रिय धारावाहिक जैसे क्योंकि सास भी कभी बहू थी, बालिका वधू, और हाल ही में शुरू हुए सरस्वती चंद्र जैसे कई धारावाहिकों में मुख्य युवा पात्रों को भगवान में विश्वास रखते, पूजा पाठ करते और साथ ही एक सफल ज़िंदगी जीते हुए दिखाया जाता हैं....यह बातें भी बहुत हद तक आज के युवाओं के लिए प्रेरणा बनती है।
  • यहीं नहीं आज के युवा चाहे वो लड़का हो या लड़की, जिसे भी अपनी रोल मॉ़डल मानते हैं, फिर चाहे वो फिल्मी सितारा हो, कोई खिलाड़ी या व्यवसायी..., जब इनके बारे में पढ़ा या सुना जाता है तो यह सभी अपनी सफलता में भगवान को धन्यवाद देने की बात कहते दिखते हैं। शायद यह भी एक वजह है जो आज के युवाओं को धर्म और पूजा पाठ की तरफ मोड़ रहा है।
  • आज की तारीख में अगर हम युवाओं के फेसबुक अकाउंट पर भी नज़र डालें तो उनमें बहुत सारी पोस्ट अपने धर्म और संस्कृति से जुड़ी हुई होती है। आज धार्मिक होना और पूजा पाठ करना युवाओं को आदर्श बेटा, पति या इंसान बनाता है और इसलिए वो इससे और ज्यादा जुड़ रहे हैं।
 वजह जो भी हो, सच यहीं है कि समय बदलने के साथ और आधुनिक ज़माने के साथ रफ्तार मिलाते हुए युवअपनी जड़ों को, धर्म को और भगवान को नहीं भूले हैं बल्कि उससे जुड़ रहे हैं, जो कि भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत माना जा सकता है।
 

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